बीसवीं शताब्दी का आठवाँ दषक, वर्ष 1982 जुलाई माह की 29 तारीख को बण्डा नगर में हर्ष और उल्लास का वातावरण था। हर्ष का विषय था कि उच्च षिक्षा के क्षेत्र मंे नगर का अर्थात् बण्डा शासकीय महाविद्यालय की स्थापना उस काल में बण्डा क्षेत्र के विद्यायक पं. श्री प्रेमनारायण मिश्रा थे। लोग कहते है उन्हीं के प्रयास से इस महाविद्यालय की स्थापना संभव हो सकी।
बण्डा नगर में बस स्टेण्ड के समीप नवीन माध्यमिक शाला बण्डा के खपरेल भवन में महाविद्यालय का विधिवत शुभारंभ हुआ। बण्डा नगर, सागर से 30 कि.मी. उत्तर में सागर कानपुर रोड पर स्थित है। बण्डा, सागर जिले की अति पिछड़ी तहसील थी, जहॉ अषिक्षा, बेरोजगारी, आवागमन का अभाव, अर्थिक विपन्नता, सामाजिक विषमता आदि अनेक समस्याएॅ थी। फिर भी यहॉ की जीवनी षक्ति अक्खड़ता इतनी अधिक थी कि यहॉ के निवासियों ने स्वतंत्रता आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की। चाहे सन् 1842 का बुन्देला विद्रोह हो, या 1857 का स्वाधीनता आन्दोलन हो, जंगल सत्याग्रह हो या नमक आन्दोलन से लेकर भारत छोड़ो आन्दोलन तक यहॉ की हिस्सेदारी रही। ऐसे क्षेत्र में शासकीय महाविद्यालय का खुलना इस क्षेत्र के लिए उच्च षिक्षा की बड़ी सौगात थी।
इस महाविद्यालय ने नवीन शासकीय माध्यमिक शाला के खपरैल जर्जर भवन में अपनी जीवन यात्रा के लगभग 10 वर्ष पूर्ण कर सन् 1992 में नवीन निर्मित भवन में अपनी विकास यात्रा को निरंतर रखा। इस महाविद्यालय के प्रथम प्राचार्य का दायित्व डॉ. के. आर. हल्वे ने संभाला था। प्रारम्भ में कला संकाय की कक्षाएँ संचालित थी, परन्तु एक वर्ष बाद 1983 से वाणिज्य संकाय की कक्षाएँ प्रारम्भ हुयी। निरंतर छात्र संख्या में वृद्धि होने के परिणाम स्वरूप 1995 से तीन विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाएँ प्रारम्भ की गई। एम.कॉम, एम.ए.(राजनीति), एम.ए.(समाज शास्त्र) विषयों में प्राध्यापक एवं सहा. प्राध्यापकों के नये पदों का सृजन हुआ। आगें चलकर यह महाविद्यालय यू.जी.सी. योजना में शामिल किया गया।
महाविद्यालय में प्रारम्भ से कला एवं वाणिज्य विषयों में अध्यापन हो रहा था। सत्र 2014-15 से विज्ञान संकाय का अध्ययन प्रारम्भ किया गया। म0प्र0 शासन उच्चषिक्षा विभाग ने सत्र 2012-13 को गुणवत्ता वर्ष घोषित किया एवं 2013-14 से गुणवत्ता विस्तार वर्ष शुरू किया गया। जिसके फलस्वरूप महाविद्यालय में अनेक नवोउन्मेषी कार्य प्रारम्भ किये गये। सत्र 2017 में प्रथम बार महाविद्यालय में नैक मूल्यांकन हुआ, जिसमें महाविद्यालय को ‘‘बी-ग्रेड’’ प्राप्त हुआ।
स्थापना काल से अब तक लगभग 41 वर्ष की विकास यात्रा में महाविद्यालय ने अनेक आयामी उन्नति की है। आज छात्र संख्या लगभग 3000 है। प्रारंभिक वर्षो से एन.एस.एस., एन.सी.सी. इकाईयाँ संचालित थी। अब एन.एस.एस. की छात्र एवं छात्रा इकाई संचालित है। विद्यार्थियों की लेखन एवं बौद्धिक क्षमता के प्रर्दषन हेतु महाविद्यालय पत्रिका ‘प्रयास’ अब ‘क्रांति’ का निरंतर 2005 से अब तक प्रकाषन हो रहा है।
महाविद्यालय में छात्र हितार्थ शासन द्वारा संचालित योजनाएँ लागू है, यथा मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति, मेधावी विद्यार्थी योजना, मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना, सेन्ट्रल सेक्टर स्कॉलरषिप, सत्र 2005 से लागू गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण योजना के साथ ही महाविद्यालय द्वारा निर्धन छात्र कल्याण योजना संचालित है। 2005 से सूचना का अधिकार अधिनियम, 2008-09 से 2016-17 तक सेमेस्टर प्रणाली लागू थी, स्नातक में पुनः 2017-18 से वार्षिक पेटर्न लागू किया गया। षिक्षा सत्र 2021-22 से राष्ट्रीय षिक्षा नीति 2020 ;छम्च्द्ध लागू की गई।
आगामी नैक मूल्यांकन प्रस्तावित है, अतः महाविद्यालय में अनेक कार्य प्रारम्भ किये गये - आधारभूत संरचना का विस्तार, खेल परिसर का विस्तार, प्राकृतिक वनरोपणी, उद्यान विस्तार, परिसर सौन्दर्यकरण, रेमेडियल कक्षाओं का संचालन, सेमीनार, बेवीनार, वर्कषाप, विषिष्ट व्याख्यान माला , राष्ट्रीय महत्व के महापुरूषों, अमर शहीदों के जयंती एवं दिवसों को समारोह पूर्वक मनाया जा रहा है। सुव्यवस्था एवं अनुषासन की दृष्टि से अध्ययनरत् विद्यार्थियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया है। संस्था एवं छात्र हित में महाविद्यालय परिवार अपने प्राचार्य के मार्गदर्षन में सतत् प्रयत्नषील है। ज्ञान और कर्म की सार्थक परिणति हेतु हम सतत् जागरूक है। और निरंतर रहेगें.....